तुम्हारे पतन का कारण तुम स्वयं हो। हमारे पतन का कारण हम स्वयं हैं। कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती, जब तक वह आचरण में नहीं है। झूठ कहते हैं वे लोग जो दूसरे सम्प्रदायों के उदय को अपनी आस्था के पतन का कारण मानते हैं। आस्था तुम्हारी है वह डिग कैसे सकती है। और यदि तुम्हारी आस्था को सत्य का आधार नहीं है तो उसका पतन होना चाहिए। तुम्हारा मार्ग भिन्न हो सकता है। उसका मार्ग भिन्न हो सकता है। सत्य तक पहुँचने के मार्ग भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इसलिए जो अपने मार्ग पर अपने साथ नहीं, उसका मार्ग गलत है। यह मानना गलत होगा।
"एकम सत्यम विप्रा बहुधा वदन्ति"
एक ही सत्य को विद्वान अलग-अलग रूपों में व्यक्त करता है। सम्प्रदाय मार्ग हो सकते हैं लक्ष्य नहीं। साधक और साध्य के बीच साधना है। साधना भी एक मार्ग है। वह विभिन्न हो सकता है। एक ही संस्कृति के अनुयायियों की साधना विभिन्न हो सकती है। अतः साधना की भिन्नता से, संप्रदायों की भिन्नता से हमारी संस्कृति में भेद नहीं हो सकता है। संस्कृति तो सत्यनिष्ठ जीवन मूल्य है। जीवन की एक पद्धति है जिसके हम सभी अनुयायी हैं। जीवन में हमारी आस्था है, यह हमारी संस्कृति है। यह हमारा संस्कार है। जो सत्य से परामुख हो वह हमें स्वीकार नहीं है। यह हमारी पद्धति है। यह हमारा अनुशासन है। और यही संस्कृति हमें भिन्न-भिन्न उपासना के मार्ग देती है। जीवन की एक पद्धति और उपासना की दूसरी पद्धति में कोई संघर्ष नहीं है। जब तक वह सत्यनिष्ठा नहीं है। इसलिए दूसरों का मार्ग तुम्हारे मार्ग से भिन्न हो तो चिंता मत करो। विचलित मत हो। अपनी आस्था को संजो कर रखो। अपने मूल्यों का जतन करो। और समय-समय पर उनका मूल्यांकन करो। सत्य के प्रकाश में अपनी परंपराओं को देखो और उनका विश्लेषण करो। जब तक तुम सत्य की रक्षा करोगे, संस्कृति तुम्हारी रक्षा करेगी। यह तो सीधी समझ में आने वाली बात है। यदि आज तुम असुरक्षित महसूस कर रहे हो, तो कारण बाहर नहीं भीतर है। सत्य का मार्ग तुम छोड़ते हो तो चुनाव के लिए कौन सा मार्ग शेष रह जाता है। यही तुम्हारे पतन का कारण है। और यही समाज के पतन का भी कारण। चुनौती स्वीकार करने के बजाय आप द्वेष करते हैं, घृणा करते हैं। दुसरो को चुनौती देते हैं। यदि सत्यनिष्ठ मूल्यों में तुम्हारी इतनी ही आस्था है तो उन्हें जी कर दिखाओ। तुम्हारा कृतत्व ही तुम्हारा इतिहास हो सकता है। और अपना इतिहास बनाने का तुम्हें अधिकार है। सामर्थ्य है तो उठकर दिखाओ। जी कर दिखाओ, कर के दिखाओ। उदाहरण रखो। उदाहरण बनो। किसने तुम्हें रोक रखा है। बढ़ो,